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अभिगम्यता के विकल:
वर्तमान गतिविधियाँ
भारत सरकार द्वारा विदेशी व्यापार के उदारीकरण के परिणाम के रूप में 1991 के मध्य से एसटीसी द्वारा पूर्व असरणीबद्ध निर्यात और आयात की सभी मदें सरणीबद्ध हुईं । इसने कार्पोरेशन के कारोबार और लाभप्रदता को, इसके पूर्ण व्यावसायिक परिदृश्य के पुनर्गठन की अपेक्षा करते हुए प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया ।
वर्तमान में, ऐसी कोई निर्यात या आयात की मद नहीं है जिसे एसटीसी द्वारा विशेष रूप से सरणीबद्ध किया गया हो । एसटीसी द्वारा किया जा रहा वर्तमान व्यवसाय व्यापक रूप से तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है -
- भारत सरकार की ओर से खाद्य तेल, दालों और उर्वरकों जैसी मदों का आयात
- व्यवसाय एसोसिएटों की ओर से बैक टू बैक आधार पर किया गया व्यवसाय
- चाय, सोयाबीन के बीज, चना आदि मदों की सीधी खरीद और बिक्री ।
सरकार की ओर से आयात एसटीसी द्वारा विश्व स्तर पर निविदा आमंत्रण द्वारा किए जाते हैं और आयातित मात्राऍं या तो सरकार द्वारा नामित एजेंसी (जैसे भारतीय खाद्य निगम, उर्वरक विभाग ) को सौंपी जाती हैं या निविदाकर्ताओं द्वारा स्वदेशी बाजार में बेची जाती हैं । बैक टू बैक व्यवसाय के मामले में व्यापार की शर्तें व्यवसाय एसोसिएट के परामर्श से तय की जाती हैं और एसटीसी 1 से 1.5% की रेंज में निश्चित व्यापार मार्जिन वसूल करता है ।.
इस प्रकार, आज एसटीसी विश्व भर के देशों से विविध प्रकार की मदों का निर्यात/आयात करता है । इसके निर्यात में गेहूँ, चावल, चाय, कॉफी, काजू, खलियॉं, अरण्डी का तेल/बीज, चीनी, मसाले, पटसन का सामान, लौह अयस्क, रसायन, औषधीय, हल्के इंजीनियरी सामान, संरचना सामग्री, उपभोक्ता मदें, संसाधित खाद्य, कपड़ा, वस्त्र, जेवरात, चमड़े का सामान आदि है । कार्पोरेशन, सरकारी खरीद के लिए प्रति व्यापार प्रतिबद्धताओं की निगरानी भी करता है ।
एसटीसी द्वारा आयात की प्रमुख मदों में सोना, चॉंदी, खाद्य तेल, चीनी, दालें, उर्वरक, धातु, खनिज, अयस्क, हाइड्रोकार्बन, पेट्रो रसायन और भारतीय उद्योग से कच्चा माल शामिल हैं । यह फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं, राज्य पुलिस और आसूचना विभाग और अर्धसैनिक संगठन आदि की ओर से तकनीकी और वैज्ञानिक उपकरण का आयात भी करता है ।